चल रे नारी
Women day poetry चल रे नारी
अरमानों की चोखट पर
क्यू है डर के ताले
अब भी बैठी है तेरी नज़रें
सपनो को सँभाले
बूंद सी फिर बरस कहीं पर
क्यू है बादलों के हवाले
चल रे नारी
चल रे फिर तू
बिन कोई पहरा डाले
चल रे नारी
चल रे फिर तू
बिन आंसू कोई निकाले
चल रे नारी
चल रे फिर तू
चल तू ख्वाब बनाले
कर दिया तूने जीवन अर्पण
त्याग का तू है दर्पण
प्रणाम है तेरी महिमा को
हर काम में तू तर्पण
लकीरों में तेरी किस्मत क्या
लकीरों को फिर से बनाले
चल रे नारी
चल रे फिर तू
खुद के पंख निकाले
चल रे नारी
चल रे फिर तू
हौसलों को सँभाले
चल रे नारी
कर दे फिर तू
खुद हो खुद के हवाले
जताती भी नहीं तेरे गम तू
सब्र तू कर जाती है
आँखें रहे तेरी नम
तो भी तू हँस जाती है
किस राह को ढूँढ रही है
समय की बेड़ियाँ डाले
चल दे इसी घड़ी तू
खुद ही बेड़ी निकाले
चल रे नारी
चल रे फिर तू
अब अपनी शान बनाले
चल रे नारी
चल रे फिर तू
अपना अस्तित्व सँभाले
चल रे नारी
चल रे फिर तू
खोल के पंख उड़ाले
चल रे नारी
चल रे फिर तू
चल रे नारी
चल रे फिर तू
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Beautiful lines...
ReplyDeleteHappy women's day 😍 and thanks knm 😊
ReplyDeleteVery beautiful creations
ReplyDeleteHappy women's day 😍
ReplyDeleteThanks 😋
And keep visiting my site 😊 😊