फिर बनेगा केरला कल।



आखिरी आँसू भी मिल गया होगा पानी में ..
इतिहास बन चुकी लोगों की कहानी में ..
थोड़ा सा सहारा देतें हैं चल ...
फिर बनेगा केरला कल ...

उँगली थाम लेते हैं कम से कम ...
लाख हैं वो और करोड़ों हम ...
आगे खड़े हैं हम ढाल बन ..
साथ दे रहा है मिट्टी का हर कण..
चाहे कठोर हो बह रहा हो जल ..
फिर बनेगा केरला कल ..
एक हिस्सा बह रहा है..इस माँ की आँखे हैं नम...
भारत मांँ को लगाते हैं मलहम..
बढ़ा कर एक छोटा सा कदम ...
जीत लेंगे जंग साथ में हम ..
बीतेगा दुख का भी ये पल ..
फिर बनेगा केरला कल ...हो ना पाए उनकी आंखें नम..सह रहे हैं जो अपनों का गम ..
वक्त से मिटेगा वो जख्म ..
जब वक्त काटने को साथ हों हम ..
थाम लेते हैं हाथ उनका चल ...
फिर बनेगा केरला कल. ..

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